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मंगलवार, फ़रवरी 11, 2020
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घोडी पर दुल्हन
बुरहानपुर शहर की सडकों पर अनूठी बारात नजर आई, यह बारात अन्य बारातों की समान थी फर्क सिर्फ इतना था घोडी पर दुल्हे की बजाए दुल्हन सवार थी, दरअसल गुजराती मोढ वणिक समाज की यह तीन सौल साल पूरानी है जिसे समाज ने पुनर्जीवित किया है समाज का कहना इससे बेटी बचाओ बेटी पढाओं और बेटी बढाओं का भी संदेश दिया जा रहा है।
वाईस ओवर 01ः- बुरहानपुर की सडकों पर एक अजीबो गरीब बारात नजर आई जिसे जिसने भी देखा हैरान रह गया दरअसल इस अनूठी बारात में सबकुछ अन्य बारातों की तरह था लेकिन फर्क सिर्फ था तो अमूमन बारातों में घोडी पर दुल्हा सवार होता है लेकिन इस बारात में दुल्हे की बजाए दुल्हन सवार थी, दरअसल गुजराती मोढ वणिक समाज की यह परंपरा रही है शादी में बजाए दुल्हे के दुल्हन बारात लेकर दुल्हे वाले के यहां जाती है और उन्हें अपने घर आकर रिती रिवाज और विधि विधान से शादी करने के लिए आने का निमंत्रण देती है हालांकि 300 साल पूरानी यह परंपरा बंद हो गई थी लेकिन अब समाज ने इसे दोबारा शुरू किया है, बुरहानपुर निवासी अंशुल अमेरीका निवासी एनआरआई अपने दुल्हे अपेक्षित के घर गाजे बाजे डीजे की थाप के साथ घोडे पर सवार हो कर शहर में निकली दुल्हन घोडी पर सवार होकर खूद को काफी गौरान्वित महसूस कर रही है थी वहीं दुल्हे ने बेटी बचाओ बेटी पढाओ और बेटी बढाओं के इस युग में अपने समाज की इस पूरानी परंपरा को सहर्ष स्वीकार किया, इस शादी की एक और विशेषता है दुल्हे के पिता ने पीएम नरेंद्र मोदी के प्लास्टि मुक्त भारत अभियान से प्रेरीत होकर शादी का निमंत्रण कार्ड कागज या प्लास्टिक का ना छपवा कर ईको फ्रेंडली कपडे में छपाई जिन्हें निमंत्रण कार्ड दिया उसे लोग छोटी थैली और रूमाल के रूप में उपयोग करेंगे इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा उनका कहना है प्लास्टिक मुक्त भारत केवल सरकार के बस की बात नहीं समाज और व्यक्ति तो इसके लिए आगे आना पडेगा घोडी पर दुल्हे की बजाए दुल्हन के सवार होने की इस परंपरा के पुनर्जीवीत होने पर समाज की महिलाएं काफी गौरान्वित महसूस कर रही है उनका कहना है यह बेटियों के शिक्षित, आत्म निर्भर होने का प्रमाण है आने वाले दिनों में दूसरे समाज के लोग भी इस परंपरा को अपनाएंगे।
बाईट 01ः- अंषुल मुंषी, दुल्हन।
बाईट 02ः- अपेक्षित शाह, दुल्हा।
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