117 साल बाद इस महाशिवरात्रि पर शनि और शुक्र का दुर्लभ योग, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
By -बुन्देली न्यूज़,
बुधवार, फ़रवरी 19, 2020
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117 साल बाद इस महाशिवरात्रि पर शनि और शुक्र का दुर्लभ योग, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
ऐसा ही एक मंदिर शिव मंदिर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से 60 किलोमीटर दूर नौगांव तहसील के अंतर्गत ग्राम सरसेड़ में स्थित है। जो हरपालपुर से 3 किलोमीटर दूरी पर है शिवधाम सरसेड़ ग्राम की चारों सीमाएं उत्तरप्रदेश से लगी हुयी है ग्राम सरसेड़ महाराजपुर विधानसभा व टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र में आता है।
सरसेड़ गांव छटवीं शताब्दी में नाग राजाओ की राजधानी रही हैं। इस गांव में बना शिव मंदिर पहाड़ की गोद मे स्थित हैं। जो पूरी तरह से पत्थरों को काटकर बनाया गया हैं सावन के माह में और महाशिवरात्रि के पर्व यहाँ श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता हैं।नागराजाओ की आस्था धर्म विश्वास का प्रतीक अनोखा शिव मंदिर भले ही कोणार्क व खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर की तरह प्रसिद्ध न हो पाया लेकिन शिवधाम सरसेड़ मंदिर आने वाले श्रदालुओं के लिए जिज्ञासा का केंद्र वर्षो से बना हैं।शुक्रवार के दिन यानि 21 फ़रवरी को महाशिवरात्रि का पावन पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जायेगा 59 वर्षो के बाद बन रहा है महाशिवरात्रि के पर्व पर बन रहा है महासंयोग इस व्रत के साथ घरों एवं शिवालयों में अभिषेक के साथ पूजा पाठ आरती के बाद प्रसाद वितरण किया जायेगा । इस दिन भगवान शिव एवं पार्वती जी का विवाह हुआ था इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है ।शिव मंदिर में प्रातः स्नान के बाद व्रतधारी एवं हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिवधाम सरसेड़ में शिव जी के अभिषेक और पूजा पाठ में लीन रहेंगे भगवान भोलेनाथ हर भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण करते है। इस बार 59 वर्षो बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी महाशिवरात्रि
117 साल बाद इस महाशिवरात्रि पर शनि और शुक्र का दुर्लभ योग, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
महाशिवारात्रि पर भगवान शिव को मनाने का सुनहरा मौका है। इस वर्ष बेहद खास दो योग बन रहे हैं, जानिए कब कब करें शिव पूजन। इस साल, शुक्रवार 21 फरवरी को महाशिवारात्रि का पावन पर्व मनाया जाएगा।
117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है इस बार महाशिवरात्रि पर कई तरह के शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है जिसे बेहत शुभ माना जाता है। इस शिव रात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। महाशिवरात्रि पर शनि स्वयं की राशि मकर और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। इससे पहले 1903 में इन ग्रहों का ऐसा संयोग बना था।
शनि और चंद्रमा का संयोग महाशिवरात्रि पर शनि और चंद्रमा के संयोग से शश योग बन रहा है। इस संयोग में शिव आराधना का विशेष फल मिलता है। चंद्रमा मन का और शनि ऊर्जा का कारक है। महाशिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग में शिव-पार्वती का पूजन श्रेष्ठ माना गया है।
पूजा विधि हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव पर पूजा करते वक्त बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सारी समस्याएं दूर होंगी साथ ही मांगी हुई मुराद भी पूरी होगी।
शुभ मुहू्र्त 21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगी।
रात्रि प्रहर पूजा मुहू्र्त शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी।