दुनिया के 7 बड़े देश एक बात पर हुए सहमत – हम सब चीन के खिलाफ हैं:-जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं.

बुन्देली न्यूज़,
By -
0

दुनिया के 7 बड़े देश एक बात पर हुए सहमत – हम सब चीन के खिलाफ हैं

शमशान घाट में बोर्ड लग चुका है “China coming soon”

कोरोना को लेकर चीन ने कोई एक काम बड़ी शिद्दत से किया है, तो वो है झूठ बोलना और अपनी की हुई गलतियों पर पर्दा डालना। कोरोना से मरने वाले लोगों के आंकड़े से लेकर इस वायरस की उत्पत्ति संबन्धित जानकारी तक, चीन ने शुरू से ही दुनिया को झूठ परोसने का काम किया है। हालांकि, अब लगता है कि चीन के इन झूठे दावों को मानने वाला कोई नहीं बचा है, और पूरा विश्व अब चीन को कटघरे में खड़ा करने मेँ लगा है। इसकी शुरुआत G7 देशों ने कर दी है। दुनिया के 7 सबसे बड़े देशों का यह ग्रुप अब इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन से कई कड़े सवाल पूछ रहा है और साथ ही इस वायरस और वुहान की लैब के बीच के संबंध को लेकर भी जांच करने की बात कह रहा है। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि चीन अब इन सभी 7 देशों के रडार पर आने वाला है जो चीन के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं रहने वाला।
G7 देशों मेँ अमेरिका, इटली, UK, जापान, जर्मनी, फ्रांस और कनाडा जैसे देश शामिल हैं और अगर कनाडा को छोड़ दिया जाये तो कोरोना ने G7 के बाकी 6 सदस्य देशों मेँ कोरोना ने भारी तबाही मचाई है। कोरोना से पूरी दुनिया मेँ मरने वाले कुल लोगों मेँ से 66 प्रतिशत लोग इन्हीं G7 देशों में मरे हैं, जिससे अब इन देशों में रोष पैदा हो गया है।
भारतीय समय के अनुसार कल रात G7 देशों के नेताओं की एक वर्चुअल मीटिंग हुई जिसमें सभी देशों ने एकमुश्त होकर चीन को इस वायरस के लिए टार्गेट करने पर सहमति जताई। UK के अन्तरिम प्रधानमंत्री डोमिनिक राब पहले ही यह कह चुके हैं कि अब चीन से कुछ कड़े सवाल पूछने का वक्त आ गया है, कि यह वायरस कैसे पनपा। इसके अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति ईमैनुएल मैक्रों भी एक इंटरव्यू में बातों ही बातों में चीन पर निशाना साध चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था “वायरस से जुड़ी ऐसी कई चीज़ हो सकती हैं जो अभी इस दुनिया को नहीं पता है”।
इसके अलावा अमेरिका तो शुरू से ही चीन पर इस वायरस को लेकर बड़े आरोप लगाता रहा है। अमेरिका में इस वायरस की वजह से 6.67 लाख से ज्यादा लोग बीमार हैं और 32,900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान स्थित एक प्रयोगशाला से बाहर निकला है। इस प्रयोगशाला में चमगादड़ों पर रिसर्च चल रही थी। अब ट्रंप चाहते हैं कि इस प्रयोगशाला की बड़े स्तर पर जांच होनी चाहिए। हालांकि, अमेरिका अपने स्तर पर इस लैब की जांच कर रहा है।
चीन के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब चीन पर निशाना साधने के लिए यूरोप भी अमेरिका के साथ आ गया है। अन्य मुद्दों पर देखा जाए तो हमें अमेरिका और यूरोप के बीच मतभेद देखने को मिलते हैं। उदाहरण के लिए जब ट्रम्प ने WHO की फंडिंग को रोकने का ऐलान किया तो जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों ने अमेरिका का समर्थन करने से मना कर दिया। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है जब चीन के मुद्दे पर यूरोप खुलकर अमेरिका के साथ खड़ा हो गया है।
पिछले महीने तक ही G7 देशों में कोरोना वायरस के नाम को लेकर मतभेद देखने को मिलता था। G7 {जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं}देश अमेरिका द्वारा कोरोना वायरस को वुहान वायरस या चीनी वायरस कहकर संबोधित किए जाने को लेकर एकजुट नहीं थे, मगर अपने-अपने देशों में कोरोना का तांडव देखकर अब इन देशों ने अपना मन बदल लिया है। साफ है कि आज जो खुशियाँ चीन मना रहा है, वो लंबे दिनों तक नहीं टिक पाएँगी और जल्द ही हमें चीन की अर्थव्यवस्था का जनाजा देखने को मिलेगा।
Tags:

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!