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#टिड्डी_दल_से_बचाव_हेतु_करें_उपाय

उप संचालक कृषि श्री एसके श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के कई भागों में टिड्डी दल के प्रकोप की खबरें प्राप्त हो रही हैं। उन्होंने बताया कि ये टिड्डी दल वर्तमान में ओरछा निवाड़ी जिले के तक पहुंच गया है, ये हवा की गति अनुसार लगभग 100-150 कि.मी. प्रति घंटा की गति से उड़ती हैं, उन्होंने बताया कि टिड्डा/टिड्डी दल फसलों को नुकसान पहुंचाने वाला कीट है जो कि समूह में एक साथ चलता है और बहुत लम्बी-2 दूरियों तक उड़ान भरता है। यह फसल को चबाकर, काटकर खाने से नुकसान पहुंचाता है। अतः स्पष्ट है कि ये उद्यानिकी फसलों, वृक्षों एवं कृषि की फसलों को बहुत बड़े रूप में एक साथ हानि पहुचां सकता है। उन्होंनेे सभी किसान भाईयों से अनुरोध किया है कि सतत निगरानी रखें और टिड्डी दल का प्रकोप होने पर नीचे बताई गई विधियों को अपनाकर फसलों का बचाव करें।
यदि जिले में टिड्डी दल का प्रकोप होता है तो इसके नियंत्रण के लिये किसान भाई दो प्रकार के साधन अपना सकते हैंः-
1. भौतिक साधन- जिसमें किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह के परम्परागत उपाय जैसे शोर मचाकर तथा ध्वनि वाले यंत्रो को बजाकर इन्हें डराकर भगाया जा सकता है। इसके लिये मांदल, ढोलक, ट्रैक्टर/मोटर साइकिल का सायलेंसर, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि से भी सामूहिक प्रयास से ध्वनि की जा सकती है। ऐसा करने से टिड्डी नीचे नहीं आकर फसलों पर न बैठकर आगे प्रस्थान कर जाते हैं।
2. रासायनिक नियंत्रण में सुबह से कीटनाशी दवा ट्रेक्टर चलित स्प्रे पंप, पावर स्प्रेयर द्वारा जैसे क्लोरपॉयरीफॉस 20 ईसी 1200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी 600 मिली अथवा लेम्डाईलोथिन 5 ईसी 400 मिली, डाईफ्लूबिनज्यूरॉन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हे. 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
टिडडी दल वर्तमान में ग्वालियर संभाग तक पहुंच गया है, जो हवा की गति अनुसार लगभग 100-150 कि.मी. प्रति घंटा की गति से उड़ती है। सभी किसान भाईयों से अनुरोध है कि सतत निगरानी रखें और टिड्डी दल का गहखगगगखोने पर बताई गई विधियों को अपनाकर फसलों का बचाव करें।
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