ग्रामीणों ने कोटेदार पर लगाया राशन न बाँटने का आरोप। बीपीएल कार्ड व अंत्योदय परिवारों को महीनों से नही मिला राशन।

बुन्देली न्यूज़,
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ग्रामीणों ने  कोटेदार पर लगाया राशन न बाँटने का आरोप।  बीपीएल कार्ड व अंत्योदय परिवारों को महीनों से नही मिला राशन।

हरपालपुर। कोरोना संक्रमण को लेकर लॉक डाउन में  मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सरकार भले ही यह कहती हो कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के समुचित उपाय किए गए हैं लेकिन हकीकत कुछ और है। ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचे मजदूर काम के लिए तरस रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें सरकारी राशन की दुकान से  राशन सामग्री भी ठीक से नसीब नहीं हो रही है। कई महीनों से राशन वितरण नही हुआ जिससे ग्रामीणों ने कोटेदार पर राशन न देने के लगाए आरोप।उनका कहना है हम लोग दलित वर्ग में आते है हम लोगो की कोई सुनवाई नही होती विगत कई महीनों से हम लोगो को राशन तक नही दिया गया ।अगर उनसे राशन मांगने जाते है तो सरकारी राशन की दुकान में ताला नजर आता है ।जब कभी उनसे पूछा जाता है राशन कब मिलना है तो बोलते है सरकार से राशन नही आ रहा हम कहा से दे। जो दिन में सिर्फ एक वक्त के भोजन पर जीवन-यापन कर रहे हैं। 

नौगांव जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सरसेड़ के मंगलवार की सुबह 10 बजे के लगभग दलित वर्ग का दर्द सुनकर कोई भी आहत हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग महानगरों से बीमारी से बचने के लिए अपने घर तो आ गए लेकिन यहां वे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।और राशन की आस लगाए बैठे है कब कोई आ जाये और राशन वितरण कर जाए। उनको भी अब उम्मीद लगाने से कोई फायदा नहीं हो रहा।क्योकि जो सरपंच सचिव भी है वो भी कोई दिन देखने तक नही आते किस पात्र को राशन मिला किस को नही।इतना ही नहीं अब उनका राशन भी खत्म हो चुका है जिससे वे भूखे पेट जीने को भी मजबूर हैं।।दो दर्जनों की संख्या में बुजुर्ग व महिलाओं सहित पुरुषों ने सरकारी राशन की दुकान में पहुँचकर राशन के वितरण के इंतजार में बैठे रहे।जब कई घण्टे बीत जाने के बाद कोटेदार नही पहुचा तो मायूस होकर उन मजदूरों को घर वापिस जाना पड़ा।जब उनसे बात की गई तो उन्होंने ने बताया हम लोग रोजाना सुबह से राशन के लिए आ जाते लेकिन हम लोगो की सुनने वाला कोई नही क्योकि हम लोग गरीब है और साथ साथ दलित वर्ग के भी है।महिला 
कन्ची ने बताया कि तीन माह से राशन नही मिला था।हमारे  परिवार के लोग हैं, राशन खत्म हो चुका है। ऐसी स्थिति में कभी खाना खा लिया तो कभी भूखे पेट ही सो जाते हैं।जबसे बाहर से आए हैं तबसे न तो कोई काम मिल रहा न ही राशन मिल रहा जिससे हम लोगो को भूखा रहना पड़ता है न तो पैसे बचे हुए है।
 वहीं  बुजुर्ग कठोले का कहना है  खाली पेट बैठे हैं।प्रधानमंत्री योजना के तहत हम लोग शासन की सुविधाएं से आज भी वंचित है इतना राशन आया है हम ग्रामीणों को ठीक से राशन तक नही मिला।जब भी आते है तो मायूस होकर वापिस पैर लौटना पड़ता है।
आधा सैकड़ा से ज्यादा ऐसे गरीब हैं जो दो वक्त की रोटी के संकट से जूझ रहे हैं। गरीबों का कहना है कि वोट लेने के लिए नेता उनके दरवाजों पर बार-बार आते हैं लेकिन जब उन पर विपत्ति आई है तो कोई हाल जानने भी नहीं आ रहा।
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