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मंगलवार, जुलाई 21, 2020
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बड़ी खबर:- ईशानगर/छतरपुर
गरीब बच्चों को अब सरकारी स्कूलों में भी पढ़ना पड़ा रहा महंगा, जेब भरने ऐसे वसूले जा रहे पैसे
शासकीय स्कूलों में कोरोना काल के बीच अब परिजनों को भारी-भरकम फीस से सामना करना पड़ रहा है
ईशानगर शासकीय स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं मगर गैर जिम्मेदार व भ्रष्ट अधिकारी अपनी जेब भरने मैं लगे हुए हैं
ऐसा ही एक मामला ईसानगर संकुल से सामने आया है जहां शासकीय हायार सेकेंडरी स्कूल ईसानगर मैं पदस्थ प्राचार्य जेपी चौरसिया द्वारा कोरोना काल के बीच बच्चों से साला विकास के नाम पर 500 से लेकर 1000 तक का अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है अपने चहेतों के माध्यम से करा रहे अवैध वसूली खुद छुट्टी का बहाना कर नहीं पहुंचते स्कूल। दूरभाष के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की जाए तो फोन नहीं उठाया जाता है।
*परिजनों की बढ़ रही परेशानी*
उल्लेखनीय है कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लोग पहले से ही परेशान चल रहे हैं ऐसे में परिजनों के शिर पर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में होने वाले खर्च का बोझ परेशानी बढ़ा रहा है।
*स्कूल में लगने वाले 10 प्रकार का शुल्क जमा करना पड़ता है*
गरीब बच्चों को अब शासकीय स्कूलों में पढ़ना लग रहा महंगा
इसके अलावा पाठय पुस्तक, यूनिफार्म आदि का खर्च भी वे ही वहन करते हैं। पिछले साल से कुछ शुल्क में 20 से 40 प्रतिशत वृद्धि भी हुई है। ऐसे स्थिति में गरीब वर्ग के छात्र-छात्राओं का अब शासकीय स्कूलों में पढऩा भी महंगा पडऩे लगा है। शुल्क का इंतजाम नहीं होने के कारण कई छात्र हर साल शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं।
शाला विकास शुल्क में मनमानी
छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते हैं। उनसे शासन द्वारा निर्धारित शुल्क के अलावा शाला विकास शुल्क भी लिया जाता है। शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो अधिकांश स्कूलों में शाला विकास शुल्क के नाम मनमानी चल रही है। स्कूल की जरूरतों को पूरा करने के नाम पर पांच सौ से हजार रुपए लिया जा रहा है, जिसे जमा कर पाना गरीब वर्ग के छात्रों के लिए मुश्किल हो गया है।
*मजबूरी में दे रहे फीस*
हर साल बड़ी संख्या में गरीब वर्ग के बच्चे फीस माफी को लेकर आवेदन भी करते हैं मगर जिम्मेदारों द्वारा इसको नजर अंदाज कर बसूली मैं लगे रहते हैं।
*सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां*
जिले में बढ़ते कोरोला संक्रमित मरीजों की संख्या बीच जहां सोशल डिस्टेंसिंग ऑफ मार्क्स सैनिटाइजर का उपयोग करने के लिए सभी विभागों को सूचित कर नियमों को पालन कराने के लिए निर्देशित किया गया है लेकिन ना तो इस स्कूल में सैनिटाइजर रखा गया है और ना ही बच्चों को सोशल डिस्टेंस का पालन कराया जा रहा है अधिकांश बच्चे बगैर मार्क्स के देखे गए।
*प्राचार्य स्कूल के चपरासी से कराते हैं अवैध वसूली*
स्कूल का चपरासी शिवम रजक से पीछे के गेट पर बच्चों से पैसा वसूल रहा था मीडिया का कैमरा उस तक पहुंचता कि वह वहां से भाग निकला जो आप फोटो में स्पष्ट देख सकते हैं।
डीईओ, संतोष शर्मा ने बताया की शासन के निर्देश के अनुसार शासकीय स्कूलों की नामांकन शुल्क निर्धारित है। शाला विकास शुल्क शाला के विकास के लिए होती है जो निर्धारित नहीं होती शाला प्रबंधन समिति चाहे तो ले सकती है और नहीं भी सकती है लेकिन वैशयविक महामारी के चलते छात्रों से शाला विकास शुल्क नही लिया जाना चाहिए।
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