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सोमवार, अगस्त 10, 2020
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अमन के जीवन को मौत देने वाले दोषी कोन?
- आंकड़ों कि बाजीगरी का गणित कहीं दोषी तो नहीं
( धीरज चतुर्वेदी बुन्देली न्यूज़ )
छतरपुर जिले मे18 दिन पहले कोरोना पॉजिटिव हुआ महज 26 साल के अमन कि मौत हो जाती है जो कई सवालों को छोड़ जाती है। आखिर दोषी कौन?
क्या यह सरकारी तंत्र के आंकड़ों कि दुरस्ती मे तलाशती मौत तो नहीं। आखिर क्यो हुआ ऐसा जिसका नया दाम्पत्य जीवन बस 18 माह पहले ही शुरू हुआ था.। उस नाम निष्ठुर हुई आँखे भी सवाल करती है कि अमन का जीवन लीलने वाला कौन?
छतरपुर शहर के तमराई मोहल्ले का 26 साल का युवक अमन ताम्रकार का कोरोना सेम्पल 22 जुलाई को पॉजिटिव आता है। उसे छतरपुर जिले के कोविद सेंटर मे लाभ देने के लिये रखा जाता है। अमन के स्वस्थ होने का दावा कर सरकारी प्रचार संसाधनों मे 1 अगस्त को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। प्रशासन का यह कैसा स्वस्थ होने का डिस्चार्ज का प्रसार था कि अमन घर आते ही फिर अस्वस्थ हो जाता है। फिर एक घर कि अमन के जीवन को बचाने कि उलझन शुरू होती है। जबलपुर ओर नागपुर तक इलाज कराया जाता है पर बदले मे अमन का मृत शरीर हाथ आता है। जो नव विवाहिता पत्नी कि मांग का सिंदूर छीन जाता है ओर केवल आंसू के सिवाय कुछ भी लेख नहीं कर जाता। तभी सवाल उठते है कि अमन को नींद के आगोश मे सुलाने वाला कौन? जब छतरपुर के प्रशासन ने कोरोना पॉजिटिव अमन को डिस्चार्ज कर नई सुबह कि गाथा प्रचारित की थी तब क्या हकीकत मे वह स्वस्थ था। कोरोना के लक्षण उसमे नहीं थे, यह मान भी लो तो कोरोना के साइड इफेक्ट से क्या वह स्वस्थ था? अगर वह पूरी तरह स्वस्थ होता तो उसकी दुबारा क्यो हालात बिगड़ती। हालांकि अमन कि मृत्यु का कारण शुगर लेबल बढ़ना है लेकिन आखिर क्यो यह लेबल बढ़ा? क्या कोरोना का असर था? स्वस्थ होने का आंकड़ा बढ़ाने के खेल मे कहीं मौत तो नहीं बांटी जा रही? मोहन सिंधी कि मौत भी इसी तरह के सवालों मे उलझी है।अमन यानि सभी जगह अमन का सन्देश देने वाला यह नाम इस दुनिया को अलविदा कह गया लेकिन सवाल पूछ गया कि मेरा कातिल कौन? सरकारी तंत्र के महकते आंकड़े या कोई ओर
( धीरज चतुर्वेदी बुन्देली न्यूज़ )
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