गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है? श्री गणेश जी की कहानी हिंदी में

बुन्देली न्यूज़,
By -
0

  हम सभी गणेश चतुर्थी को हर वर्ष पुरे दस दिन तक इस त्यौहार को मनाते हैं. लेकिन कितनों को पता है की गणेश चतुर्थी की कहानी क्या है और इसे क्यूँ मनाया जाता है?


गणेश चतुर्थी की कहानी: भारत में अनेको त्यौहार मनाये जाते है. गणेश चतुर्थी का त्यौहार उनमे से एक है. वैसे तो गणेश जी की पूजा को ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है लेकिन आप में से ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें की ये नहीं पता की क्यों गणेश चतुर्थी मनाया जाता है ?

वैसे आपके जानकारी के लिए बता दूँ की, गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है. वह शिव और पार्वती के पुत्र हैं. गणेश चतुर्थी वैसे तो भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के लोगो को इस त्यौहार का बेसब्री से इंतज़ार होता है.

भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक हैं. भारत में लोग कोई भी नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते है. भगवान गणेश को विनायक और विघ्नहर्ता के नाम से भी बुलाया जाता है. गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है. इसलिए आज हमने सोचा की क्यूँ न आप लोगों की गणेश चतुर्थी क्या है इसे क्यों मनाया जाता है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे.

गणेश चतुर्थी क्या है?

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, यह असल में एक हिंदू त्योहार है. इस त्योहार के दौरान लोग भगवान गणेश की बहुत भक्ति करते हैं. गणेश चतुर्थी की शुरुआत वैदिक भजनों, प्रार्थनाओं और हिंदू ग्रंथों जैसे गणेश उपनिषद से होती है. प्रार्थना के बाद गणेश जी को मोदक का भोग लगाकर, मोदक को लोगो में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.

इन दिनों लोग भंडारे भी करवाते हैं. और बहुत अच्छे से साज-सजावट भी होती है. इस त्योहार में पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है. गणेश चतुर्थी के दौरान सुबह और शाम गणेश जी की आरती की जाती है और लड्डू और मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है. सबसे ज्यादा यह उत्सव महाराष्ट्र में मनाया जाता है और वहाँ की गणेश चतुर्थी देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.


नामगणेश चतुर्थी
अन्य नामचविथी, चौथी, गणेशोत्सव, गणेश पूजा
आरम्भभाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी तिथि
समाप्तशुरुआत के 11 दिन बाद
तिथिभाद्रपद, शुक्ल, चतुर्थी
उद्देश्यधार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन
अनुयायीहिन्दू, भारतीय
आवृत्तिसालाना
2022 तारीख31 अगस्त (बुधवार)

गणेश चतुर्थी कब है 2022 में?

गणेश चतुर्थी को इस वर्ष 2022 में बुधवार, 31 August (31/08/2022) को मनाया जायेगा.

  Day      Date                              States
बुधवार (Wednesday)31 August 2022Maharashtra, Goa, Tamil Nadu, Karnataka, and Andhra Pradesh

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

भारत के लोगों का मानना है कि भगवान गणेश जी बहुत खुशी और समृद्धि लाते हैं और उनकी सभी बाधाओं को दूर करते हैं. तो गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए लोग उनके जन्म दिवस को गणेश चतुर्थी के रूप में मानते है.

लोग उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन तैयार करते हैं. हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजा करते हैं, उन्हें खुशी, ज्ञान, धन और लंबी आयु प्राप्त होगी. और उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.

गणेश चतुर्थी की शुभ मुहूर्त कब है?

हमेशा से यही बताया जाता है की मूर्ति हमेशा घर को सुभ मुहूर्त में ही लाना चाहिए. यदि आप भी अपने घर को गणेश जी की मूर्ति लाना चाहते हैं 22 August 2022 को तब नीचे के मुहूर्त में ही लायें.

लाभ समय : दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से 3 बजकर 52 मिनट तक
सुभ समय : सुबह 7 बजकर 58 से 9 बजकर 30 तक

वहीँ शाम की मुहूर्त है : – 06:54 PM to 08:20 PM

गणेश जी की मूर्ति स्थापना आप 31 August 2022 को इस समय में कर सकते हैं:

अमृत समय : 03:53 PM to 05:17 PM
सुभ समय : 09:32 AM to 11:06 AM

गणेश पूजा को हमेशा ज्यादा अच्छा समझा जाता है अगर आप उसे दोहपर के समय में करें:

11:25 AM से लेकर 01:54 PM के बीच में.

इस मुहूर्त को सबसे बढ़िया माना गया है गणेश जी की पूजा करने के लिए.

गणेश चतुर्थी के मुख्य मंत्र क्या हैं?

गणेश चतुर्थी में इस्तमाल किये जाने वाले मन्त्रों में से जो सबसे मुख्य है वो है,

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ .
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा …

गणेश चतुर्थी का महत्व,

अन्य देवी देवताओं के कहानी या कथा के तरह ही गणेश जी की कहानी भी काफी रोचक और प्रेरणादायी है. चलिए आज उसी के विषय में विस्तार में जानते हैं.

एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थी. तब उन्होंने द्वार पर पहरेदारी करने के लिए अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया. और उसमें प्राण डालकर एक सुन्दर बालक का रूप दे दिया. माता पार्वती, बालक को कहती हैं कि मै स्नान करने जा रही हु, तुम द्वार पर खड़े रहना और बिना मेरी आज्ञा के किसी को भी द्वार के अंदर मत आने देना. यह कहकर माता पार्वती, उस बालक को द्वार पर खड़ा करके स्नान करने चली जाती हैं.

वह बालक द्वार पर पहरेदारी कर रहा होता है कि तभी वहां पर भगवान् शंकर जी आ जाते हैं और अंदर जैसे ही अंदर जाने वाले होते तो वह बालक उनको वहीँ रोक देता है. भगवान शंकर जी उस बालक को उनके रास्ते से हटने के लिए कहते हैं लेकिन वह बालक माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए, भगवान शंकर को अंदर प्रवेश करने से रोकता है. जिसके कारण भगवान शंकर क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध में अपनी त्रिशूल निकल कर उस बालक की गर्दन को धड़ से अलग कर देते हैं.

बालक की दर्द भरी आवाज को सुनकर जब माता पार्वती जब बहार आती है तो वो उस बालक के कटे सिर को देखकर बहुत दुखी हो जाती हैं. भगवान् शंकर को बताती है कि वो उनके द्वारा बनाया गया बालक था जो उनकी आज्ञा का पालन कर रहा था. और माता पार्वती उनसे अपने पुत्र को पुन: जीवित करने के लिए बोलती है.

फिर भगवान शंकर अपने सेवकों को आदेश देते हैं कि वो धरतीलोक पर जाये और जिस बच्चे की माँ अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो, उस बच्चे का सिर काटकर ले आये. सेवक जाते हैं, तो उनको एक हाथी का बच्चा दिखाई देता है. जिसकी माँ उसकी तरफ पीठ करके सो रही होती है. सेवक उस हाथी के बच्चे का सिर काटकर ले आते है.

फिर भगवान् शंकर जी, उस हाथी के सिर को उस बालक के सिर स्थान पर लगाकर उसे पुनः जीवित कर देते हैं. भगवान् शंकर जी, उस बालक को अपने सभी गणों को स्वामी घोषित करते देते है. तभी से उस बालक का नाम गणपति रख दिया जाता है.

साथ ही गणपति को भगवान शंकर देवताओ में सबसे पहले उनकी पूजा होगी ऐसा वरदान भी देते हैं. इसीलिए सबसे पहले उन्ही की पूजा होती है. ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा के बिना कोई भी कार्य पूरा नहीं होता.

गणेश चतुर्थी व्रत कथा

एक बहुत गरीब बुढ़िया थी. वह दृष्टिहीन भी थीं. उसके एक बेटा और बहू थे. वह बुढ़िया नियमित रूप से गणेश जी की पूजा किया करती थी. उसकी भक्ति से खुश होकर एक दिन गणेश जी प्रकट हुए और उस बुढ़िया से बोले-

बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले.’ मैं तेरी मनोकामना पूरी करूंगा.

बुढ़िया बोलती है मुझसे तो मांगना नहीं आता. कैसे और क्या मांगू?

गणेशजी बोलते है कि अपने बेटे-बहू से पूछकर मांग ले कुछ.

फिर बुढ़िया अपने बेटे से पूछने चली जाती है. और बेटे को सारी बात बताकर पूछती है की पुत्र क्या मांगू मैं. पुत्र कहता है कि मां तू धन मांग ले. उसके बाद बहू से पूछती तो बहू नाती मांगने के लिए कहती है.

फिर बुढ़िया ने सोचा कि ये सब तो अपने-अपने मतलब की चीज़े मांगने के लिए कह रहे हैं. फिर वो अपनी पड़ोसिनों से पूछने चली जाती है, तो पड़ोसन कहती है, बुढ़िया, तू तो थोड़े दिन और जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे. तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाए.

बहुत सोच विचार करने के बाद बुढ़िया गणेश जी से बोली- यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें.’

यह सुनकर गणेशजी बोले- बुढ़िया मां! तुमने तो सब कुछ मांग लिया. फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा. और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो जाते है. बुढ़िया मां ने जो- जो मांगा, उनको मिल गया.

हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना.

गणेश चतुर्थी पूजा विध ि

गणेश चतुर्थी पर सबसे पहले सुबह-सुबह नहा-धोकर लाल कपडे पहने जाते हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि लाल कपडे भगवान गणेश जी को अधिक प्रिय लगते हैं. पूजा के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व की दिशा में रखा जाता है.

फिर पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है. पंचामृत में सबसे पहले दूध से, फिर दही से, घी से, शहद से और अंत में गंगा जल से उनका अभिषेक किया जाता है. गणेश जी पर रोली और कलावा चढाया जाता है. और साथ ही सिंदूर भी चढाया जाता है.

रिद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी और पान चढ़ाए जाते हैं. फिर फल, पीला कनेर और दूब फूल चढाया जाता है. उसके बाद उनकी सबसे प्रिय मिठाई मोदक का भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद सभी लोग गणेश जी की आरती गाते है. गणेश जी के 12 नामों का और उनके मंत्रों का उच्चारण करते है.

गणेश चतुर्थी के कितने मुख्य अनुष्ठान होते हैं और क्या हैं, साथ में इन्हें कैसे किया जाता है?

गणेश चतुर्थी के मुख्य रूप से चार अनुष्ठान होते हैं.

प्राणप्रतिष्ठा – इस प्रक्रिया में भगवान (deity) को मूर्ति में स्थापित किया जाता है.

षडोपचार – इस प्रक्रिया में 16 forms (सोलह रूप) में गणेश जी को श्रधांजलि अर्पित किया जाता है.

उत्तरपूजा – यह एक ऐसी पूजा है जिसके करने के उपरांत मूर्ति को को कहीं भी ले जाया जा सकता है एक बार भगवान को स्थापित कर दिया जाये उसमें तब.

गणपति विसर्जन – इस प्रक्रिया में मूर्ति को नदी या किसी पानी वाले स्थान में विसर्जित किया जाता है.

गणेश चतुर्थी कब मनायी जाती है?

गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष को चतुर्थी में मनाई जाती है, जो आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच आती है. यह त्यौहार हिंदुओं द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति लाते हैं और 10 दिनों तक पूजा करते हैं और 11 वें दिन बड़ी धूम धाम से गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करते है.

जब तक गणेश जी का मूर्ति का स्थापन रहता है तब तक रोज़ उन्हे स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, तथा रोज धार्मिक मंत्र का उच्चारण करके उनकी पूजा अर्चना की जाती है. भक्त, गणेश जी भगवान से अपनें जीवन में सुख समृद्धि और शांति के लिए कामना करते हैं.

किस महापुरुष ने गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक उत्सव घोषित किया और इसके पीछे का कारण क्या है?

लोकमान्य तिलक जी ने ही सबसे पहले इस त्यौहार को एक निजी उत्सव से बदलकर एक सार्वजनिक उत्सव घोषित किया. इसके पीछे का कारण ये था की, वो चाहते थे की ब्राह्मण और दुसरे जाती के लोगों के बीच का अंतर समाप्त हो जाये जिससे की सभी लोग एक दुसरे के साथ मिलकर इस उत्सव को हर्ष उल्लाश से मनाएं. इससे उनके भीतर एकता की भावना जागृत हो.

किस राजा ने गणेश चतुर्थी की एक सार्वजनिक समारोह घोषित किया था?

मराठा के महाराजा Shivaji ने गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक समारोह घोषित किया था.

किनके द्वारा गणेश जी की प्रतिमा को सबसे पहले सार्वजनिक स्थान में स्थापित किया गया था?

भाऊसाहेब लक्ष्मण जवाले जी ने ही सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा को सबसे पहले सार्वजनिक स्थान में स्थापित किया था.

भारत के किस राज्य में सबसे बढ़िया ढंग से गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है?

भारत के महाराष्ट्र राज्य में सबसे बढ़िया ढंग से गेश चतुर्थी को मनाया जाता है.

गणेश चतुर्थी भारत को छोड़कर इसे और कहाँ मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी का त्यौहार भारत को छोड़कर Thailand, Cambodia, Indonesia, Afghanistan, Nepal और China में भी मनाया जाता है.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को गणेश चतुर्थी की कहानी हिंदी में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.









एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!