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सोमवार, जनवरी 09, 2023
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कटहल एक ऐसी सब्जी है जिसके बारे में तमाम किस्म की अफवाहें फैलाई गई, इसे भला बुरा कहा गया, इसके नाम पर गालियां बना दी गई।
यहां तक कि मोदी जी से जब जनता-जनार्दन ने 15 लाख मांगे तो सरकार बोली 'कटहल देंगे'। याद रखिये कटहल में इंग्रेडिएंट्स नहीं पड़ते माल पड़ता है।
किसी होटल के मीनू में मैने कभी कटहल नही दिखा। कटहल को अपवर्जित मान लिया गया। सनातनी ब्राह्मणों ने बेशर्मी के साथ कटहल को मटन का समतुल्य बता दिया। यह दुखद था पर था।
मैं जब भी ठंड को अपने अगल बगल देखता हूँ या खुद को अकेला पाता हूँ तो कटहल खाता हूं।
जनवरी के महीने में अगर कटहल न बने तो सब व्यर्थ है। हांलाकि अभी केवल छ्त्तीसगढ़ महाराष्ट्र में यह अमृत फल दिख रहा। इसकी सब्जी में प्याज ,लहसुन और गरम मसाले हैं जिसमे तेजपत्ता,दालचीनी और बड़ी इलायची अनिवार्य है। इसे तब तक पकाना चाहिए जब तक कलेजा खुद न कहने लगे अब बर्दाश्त के बाहर है।
कटहल की सब्जी स्टील या शीशे के बर्तन में नही मिट्टी के बर्तन में ही जिसे हम कसोरा कहते हैं उसमें परोसे,पूड़ी हरगिज नही चलेगी,कचौड़ी या फिर पराठे के साथ ले, साथ मे भैंस के दूध की काजू,चिरौंजी, छुआरा डली खीर और चटनी।
कटहल परोसने के बाद खिलाने वाले को जो आशीर्वाद मिलेगा पहले न मिला होगा। जब यह सब गले के नीचे उतरेगा तो आत्मा खुद बोलेगी 'बोलो सियाबर रामचंद्र की जय", अल्लाह हू अकबर
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