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शनिवार, फ़रवरी 18, 2023
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अभी नहीं तो कभी नहीं,
श्रीमद्भागवत गीता में किए गए अपने वायदे अनुसार परमपिता शिव परमात्मा इस धरा पर आ चुके हैं।
वर्तमान में नई सृष्टि के सृजन का संधि काल चल रहा है इसमें सृष्टि के सृजन करता स्वयं नवसृजन की कथा लिख रहे हैं वह इस धरा पर आकर मानव को देव समाज स्वरूप में खुद को ढालने का गुरु मंत्र राजयोग सिखा रहे हैं सबसे महत्वपूर्ण बात दुनिया की यह सबसे बड़ी और महान घटना बहुत ही गुप्त रुप में घटित हो रही है वक्त की नजाकत को देखते हुए जिन्होंने इस महा परिवर्तन को जान लिया है वह निराकार परमात्मा की भुजा बनकर संयम के पथ पर बढ़ते जा रहे हैं ऐसे लोगों की संख्या एक दो नहीं बल्कि लाखों में है इन्होंने ना केवल परमात्मा की सूक्ष्म उपस्थिति को महसूस किया है,बल्कि इस महान कार्य के साक्षी भी है।
शिव के साथ क्या है रात्रि का संबंध है...?
विश्व के सभी महान विभूतियों के जन्म उत्सव मनाए जाते हैं लेकिन परमात्मा शिव की जयंती को जन्मदिन ना कह कर शिवरात्रि कहा जाता है आखिर क्यों इसका अर्थ है परमात्मा जन्म मरण से न्यारे हैं उनका किसी महापुरुष देवता की तरह शरीर एक जन्म नहीं होता है वह अलौकिक जन्म लेकर अवतरित होते हैं उनकी जयंती कर्तव्य वाचक रूप से मनाई जाती है जब जब इस सृष्टि पर आपकी अति धर्म की ग्लानि होती है और पूरी दुनिया दुखों से गिर जाती है तो गीता में किए गए अपने वायदे अनुसार परमात्मा सृष्टि पर अवतरित होते हैं।
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