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गुरुवार, फ़रवरी 16, 2023
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हरपालपुर। सरसेड़ गॉव में स्थित अति प्राचीन शिवमंदिर जो भूतेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हैं। 6 वीं शताबदी में नाग राजाओ द्वारा स्थापित सरसेड़ नगरी में पहाड़ के ऊपर स्वयंभू शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर में क्षेत्रवासियों की बहुत आस्था हैं।
अतिप्राचीन इस मंदिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष महाशिवरात्रि बड़े उत्साह व घुमधाम से मनाई जायेगी।
महाशिवरात्रि पर्व को लेकर मंदिर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। 18 फरवरी महाशिवरात्रि पर भूतेश्वर महादेव दूल्हा बनेंगे इस लिये मंदिर सहित गर्भ गृह को सजाया जा रहा हैं।
साथ ही पूरे मंदिर परिसर में रंग रोगन का काम जोरों पर हैं।
शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन को पहुँचते हैं। साथ ही शिवरात्रि के अवसर सरसेड़ में मेला लगता साथ ही रामलीला का आयोजन किया जाता हैं।
मंदिर की विशेषता
छठवीं शताब्दी में नागराजों की राजधानी रहे इस गॉंव में बना शिव मंदिर जो पहाड़ की गोद में बना हैं जो पूरी तरह पत्थरों को काट कर बनाया गया हैं विशाल भूतेश्वर महादेव का मंदिर न जाने कितने' रहस्यों को मंदिर अपनी दीवारों में छिपाये
नागराजाओं की आस्था विश्वास का प्रतीक अनोखा शिवमंदिर जो कोर्णाक खजुराहों मंदिरों की तरह विश्व विख्यात भले ही न हो पर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं कौतुहल और जिज्ञासा केंद्र वर्षों से बना हैं सरसेड में छठवीं शताब्दी में नागराजाओं की रियासत हुआ करती थी नागराजाओं के काल में जो मंदिर मठ किले बनाये जाते थे उस में पत्थर का उपयोग किया जाता था चूने का उपयोग नही करते थे सरसेड़ में स्थित भूतेश्वर महादेव का मन्दिर का निर्माण नागराजा शांतिदेव के द्वारा कराये जाने के प्रमाण इतिहास में मिलते हैं गॉंव में किंदवंती हैं कि सूखा अकाल पड़ने पर राज्य की जनता त्राहि त्राहि कर उठी तो नागराजा शान्तिदेव ने इस आपने राज्य की जनता को बचाने के लिये शिव उपासना तो शिव जी ने स्वप्न में दर्शन दे कर कहा कि इस पहाड़ पर कही भी खोदो पानी ही पानी होगा जिसका आज भी प्रमाण हैं मंदिर के पास पहाड़ बने पांच जल कुंड को भीषण सूखे में भी पुरेवर्ष भर पानी से भरे रहते इस मंदिर के पास एक गणेश मंदिर जिसके पास से एक गुफ़ा अंदर की ओर जाती हैं
मंदिर की विशेषता
भूतेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता हैं शिवलिंग के ऊपर विशाल चट्टान हैं जो लोगों की मान्यता अनुसार प्रत्येक पांच वर्ष में इंच ऊपर उठती हैं दर्शन को आने वाले श्रदालु पहले लेट पर शिवलिंग की परिक्रमा किया करते थे आज के समय श्रदालु बैठकर आराम से परिक्रमा कर लेते हैं मंदिर के प्रवेश द्वार के पास स्थित पथ्थर पर सूर्यभगवान की ,प्रतिमा जो पथ्थर को काट कर उकेरी गई गई मंदिर के पुजारी जो वर्तमान के मंदिर की देखभाल एवं पूजा अर्चना करते तीन पीढ़ियों से मंदिर में उनके परिवार के लोग पूजा करते हैं
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