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महाराजपुर विधानसभा की जनता से नही किसी को सरोकार,
विधानसभा चुनाव से पहले ही पलायन शुरू,चुनावी साल में नहीं थमा पलायन,
हरपालपुर/ बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के महाराजपुर विधानसभा में हर साल रोजी रोटी की तलाश में हजारों परिवार परदेश जाते हैं। मगर कोई भी राजनीतिक दल सत्ता में रहा हो मगर रोजी रोटी की तलाश में गरीबों का यह पलायन आज तक कोई नही रोक पाया। एक बार फिर मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं। कुछ ही माह चुनाव को रह गए राजनीतिक दल अपनी चुनावी तैयारी में जुट गए है। जिसमें बीजेपी,कांग्रेस, बीएसपी,समाजवादी,आम आदमी पार्टी सहित विभिन्न छोटे बड़े दलों के प्रत्याशी महाराजपुर विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी घोषित कर तैयारी करने में लगे हुए है।लेकिन मजदूरो, किसानों और युवा बेरोजगारों से किसी भी दल के नेताओं को कोई सरोकार नहीं है।यही वजह है कि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के महारापुर विधानसभा में चुनाव से पहले ही अब पलायन शुरू हो गया है। गांववालों ने शहरों का रुख करना शुरू कर दिया है। गांव खाली होने लगे हैं। अगर कोई वहां बचा है तो बुजुर्ग और महिलाओं के साथ छोटे बच्चे। विधानसभा चुनाव के लिए बंदेलखंड से मजदूर और दूसरे काम करने वाले लोग गांव अब रुक नहीं रहे हैं।इसका मात्र कारण नेताओं की मनमानी और ग्रामीण क्षेत्रों की जनता जनार्दन को नेताओं द्धारा को हमेशा से उपेक्षा का शिकार बनाए रखना। स्थानीय पत्रकारों के द्धारा जब इस बात का सर्वे किया गया तो पता कि इस बार महाराजपुर विधानसभा में कम मतदान ही होगा। इसके पीछे जनता में स्थानीय नेताओं और सरकार के खिलाफ नाराजगी बताई जा रही है। दरअसल बुंदलेखंड में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। जिसे वर्तमान सरकार भी खत्म करने में नाकामयाब हुई पानी की कमी के कारण फसलें भी यहां खराब हो जाती है इसलिए अब किसान अपना पेट पालने के लिए शहरों में मजदूरी या फिर दूसरे काम करने के लिए मजबूर हैं। एक बार फिर फसल बोवनी के बाद बड़ी संख्या में मजदूरों को काम पर लौटते देख जा रहा है।कुछ मजदूर बस और कुछ मजदूर ट्रेन से महानगरों को रवाना हो रहे हैं।दुख की बात यह है कि इस बार युवा बेरोजगार मजदूरों की संख्या का इस बार दूसरे शहरों में पलायन के लिए इजाफा हुआ है।महाराजपुर विधानसभा में कुछ ऐसे गांव हैं जो पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। दस से पंद्रह फीसदी से अधिक मजदूर दिल्ली के आस पास के बाहरी इलाकों में स्थाई रूप से बस चुके हैं। वह अब सिर्फ तीज त्योहारों पर ही गांव लौटते हैं।उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड में रोजगार के साधन नहीं होने बेरोजगारी बढ़ गई परिवार आर्थिक तंगी के चलते बर्बाद हो रहे है। साथ ही खेती बाड़ी में फिर यहां पानी के संकट ने किसानों और मजदूरों को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। गरीब मजदूरों को भी फसल क्षति और फसल बीमा का उचित मुआवजा नहीं मिला। जिले के जनप्रतिनिधी व प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ अपनी तस्वीर के साथ तक़दीर बनाने में लगे हैं।
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