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बदलते भारत की तस्वीर में हरपालपुर उपेक्षा का शिकार क्यों?
नगरवासियों की पुकार,मामा हरपालपुर पधारो एक बार,
हरपालपुर/यूं कहे तो सदियां बीत गई भारत स्वतंत्र हो गया लेकिन परतंत्रता की बेड़ियों जकड़ा हरपालपुर नगर छतरपुर जिले के प्राचीनतम शहर एवं नगरों में से एक है। क्या कारण है कि उपेक्षा का शिकार हरपालपुर नगर अपनी दुर्दशा एवं उदासीनता का नजारा लिए अपनी एक छवि को प्रदर्शित करता है। राजनीति के आलम में एक अलग ही दशा और दिशा निर्धारित करने वाले हरपालपुर नगर की विषम परिस्थिति और उपेक्षा का शिकार होना कैसे जायज हो सकता है हरपालपुर नगर वासियों की पुकार मामा पधारो एक बार।
अपनी अस्मिता को रोता प्राचीन रेलवे स्टेशन एवं स्वास्थ केंद्र,
छतरपुर जिले का सबसे पहला एवं प्राचीनतम रेलवे स्टेशन हरपालपुर नगर में होने के बावजूद इसका विकास नहीं हो पाया विभिन्न समस्याओं से ग्रसित रेलवे स्टेशन का निर्माण, सुलभ शौचालय,रेलवे ओवर ब्रिज, ट्रेनों का पासआउट जैसी विभिन्न समस्याएं बनी हुई है। समय-समय पर रेलवे मंडल के अधिकारी डीआरएम एवं अधिकारियों के आने के बाबजूद भी हरपालपुर रेलवे स्टेशन उदासीनता का शिकार बना हुआ है। दूसरी ओर हरपालपुर नगर से जुड़े सैकड़ों की संख्या में ग्राम एवं ग्राम पंचायतों में निवास कर रहे ग्रामीणों के स्वास्थ्य सेवा की कोई सुध नहीं ले रहा।हरपालपुर में उप स्वास्थ्य केंद्र तो सरकार ने जैसे-तैसे बना दिया लेकिन सुविधाओं के नाम पर है ठेंगा दिखाने जैसा ही है। इतने बड़े क्षेत्र में के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र में एक डॉक्टर का होना और उसी के द्वारा 24 घंटे ड्यूटी करना कैसे मुमकिन हो सकता है जांच के नाम पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है स्वास्थ्य केंद्र के बाहर प्राइवेट रूप से जांच कराना लोगों के लिए आवश्यक आवश्यकता का केंद्र बिंदु बन गया है या यूं कहें कि हरपालपुर नगर की बदहाली का इससे अच्छा कोई उदाहरण नहीं हो सकता।
*इतिहास बन गई कपास मील एवं अस्तित्व खोती मंडी एवं घंटो लगता जाम*
नगर परिषद हरपालपुर की सीमा तीन तरफ से उत्तर प्रदेश से लगती है। यह एक छोटा कस्बा है प्राचीन काल में कपास की मील से बड़ी मात्रा में देश के कोने कोने में यहां से कपास निर्यात होता था बदलते कच्चे माल का अभाव एवं सरकारी योजनाओं और स्थानीय राजनीति की उपेक्षा के कारण यह सब इतिहास बनकर रह गए है।वही दूसरी ओर छतरपुर जिले पहली ओर सबसे बड़ी हमेशा विवादों में घिरी कृषि उपज मंडी भी अपनी खड़ी तस्वीर पर रो रही है।नगर में बायपास और ओवर ब्रिज की समस्या से घंटो जाम स्वतंत्रता के पश्चात भी आज तक नही सुधरी जो सरकार एवं जनप्रतिनिधियों की सोच पर प्रश्न चिन्ह लगाती है।
स्थानीय नेताओं की राजनीति में जनमानस का छलकता दर्द,
हरपालपुर नगर में स्थानीय नेताओं और उनकी राजनीति की पराकाष्ठा की अभूतपूर्व देन है जोकि इस नगर का अभी तक कायाकल्प नहीं बदला। बदले भी तो कैसे चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे और विभिन्न प्रयोजनों के द्वारा अपना उल्लू सीधा करना एक आम बात हो गई है। क्या कारण है कि स्थानीय नेता अपनी ही नगर को की ओर ध्यान आकर्षण नहीं कर पा रहे है। हरपालपुर नगर की विभिन्न मूलभूत समस्याओं पर जनप्रतिनिधि और शासन-प्रशासन ध्यान नहीं दे रहे नेता तो सभी बनना चाहते हैं लेकिन भलाई करना इन्हें कौन सिखाए।अब सिर्फ नगरवासियों का कहना है कि मध्य प्रदेश के मुखिया एवं मामा हरपालपुर पधारो।
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