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माँ ने समझा दूसरी माँ का दर्द अपने बच्चे को घर पर छोड़ दूसरे पीड़ित बच्चों को जीवनदान देने किया रक्तदान।
माँ आखिर माँ होती है इसका उत्कृष्ट उदाहरण हमे तब देखने मिला जब उ.प्र.राठ से रिफर जिला अस्पताल में भर्ती ढाई साल के बच्चे सौरभ रैकवार को रक्त की बेहद आवश्यकता थी रक्तवीर सेवा दल के अमित जैन ने बताया कि ब्लड बैंक में एवम मरीज के परिजनों पर वह ब्लड उपलब्ध नही था ऐसे में नगर की एक माँ रक्तदानी रिचा सिंह भदौरिया ने सूचना मिलते ही अपने छोटे बच्चे को घर पर छोड़कर अन्य पीड़ित मासूम को जीवनदान देने रक्तदान करने चली आई।
इन्होंने रक्तदान करते हुए समाज को सन्देश दिया कि मैं एक माँ हूँ दूसरी माँ का दर्द समझते हुए उसके बच्चे की जान बचाकर मात्र इंसानियत का फर्ज निभाया है जिससे और लोग भी प्रेरित होकर रक्तदान करे औऱ पीड़ितों की सेवा करें।
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