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अद्भुद प्राचीन शिव मंदिर

हरपालपुर। 17 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार ज्योतिष के जानकारों के अनुसार दूसरे सावन  सोमवार हरियाली अमावस्या को साथ लेकर आ रहा है इस  अद्भुत संयोग इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है.सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. श्रावण मास में देवों के देव महादेव के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए सावन माह भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदायी माना गया है। जिस प्रकार से काशी या वाराणसी भगवान शिव की राजधानी है इसलिए अत्यंत  महिमामयी है। इसी प्रकार हम आपको ऐसे अद्भुद प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन करा रहे है और मंदिर के  बारे  में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे है। एमपी यूपी की सीमा से लगे म०प्र०के जिला छतरपुर से 65 किमी. व हरपालपुर नगर से 11 किलोमीटर की दूरी पर उत्तरप्रदेश के महोबा जनपद के ग्राम काशीपुर में स्थित है प्राचीन शिव मंदिर। यूपी के महोबा जनपद से 76 किमी. की दूरी पर स्थित है काशीपुर का प्राचीन शिव मंदिर। यह मंदिर पिछले कई हजारो वर्षो  से ग्राम काशीपुर में धसान नदी के किनारे स्थित हैं । जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मराठा राजाओ के वंशज गोविंदराव व पुरषोतम राव द्वारा कराया गया था। यहाँ जो शिव मंदिर का आकार व जो रूप है वह ठीक बिलकुल वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ के रूप में है। मंदिर का निर्माण मराठा राजाओ ने करवाया मंदिर के पुजारी पंडित श्री भगवती प्रसाद मिश्रा व श्याम सुंदर मिश्रा द्वारा बताया गया की जो मंदिर का आकार व मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है  वह श्री काशी विश्वनाथ वनारस जैसा है।  मंदिर धसान नदी के किनारे बना हुआ है और मंदिर नदी के किनारे बना होने से नदी से मंदिर लगभग 100 फिट की ऊंचाई पर बना हुआ है मंदिर के इस मनोरम दृश्य से भक्तो को अदभुत आनंद प्राप्त होता हैं।


पुजारी जी के मुताबिक इस मंदिर की पूजा सैकड़ो सालो से हमारे पूर्वज ही करते आ रहे है। और मंदिर में भगवान गणेश का भी प्राचीन मंदिर भी स्थित है।श्रद्धालु  मनोकामना पूर्ति के लिए कामना लिंग पर प्रतिदिन जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, परंतु भगवान शिव के सबसे प्रिय त्यौहार महाशिवरात्रि व सावन  महीने  में यहां उनके भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है।मान्यता है कि  श्रद्धापूर्वक जो भी यहां बाबा के द्वार पहुंचता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कुछ लोग यहां अपनी मनोकामना मांगने आते हैं तो कुछ अपनी मनोकामनापूर्ण होने पर शिव जी का आभार प्रकट करने आते हैं.और यहाँ कोई भक्त निष्फल नहीं जाता है। ग्रामीणों द्वारा बताया गया की कुछ वर्ष पहले धसान नदी में बाढ़ आने से गंगा जी ने स्वयं आकर के मंदिर में शिव जी का जलाभिषेक किया था। गांव के लोगो का मानना है की इस गांव का नाम काशी या वाराणसी भगवान शिव की राजधानी है इसी आधार पर गांव का नाम काशीपुर है आस पास  ग्रामीण के लोग काशीपुर मिनी काशी के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव का कथन है की पृथ्वी पर जितने भी मेरे स्थान हैं वे सभी वाराणसी में भी मेरे सानिध्य में रहते है इसका प्रमाण हैं ।

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