अमित भटनागर का प्रधानमंत्री को पत्र - केन-बेतवा लिंक को भयानक विनाश बताते हुए ...

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अमित भटनागर का प्रधानमंत्री को पत्र - केन-बेतवा लिंक को भयानक विनाश बताते हुए बुंदेलखंड के जल संकट के लिए स्थायी विकल्प सुझाया

जल संकट का समाधान हमारे इतिहास में छिपा है; हमें केवल उसकी ओर देखने की आवश्यकता है : अमित भटनागर,

(बिजावर, छतरपुर// 22 दिसंबर, सामाजिक कार्यकर्ता व आप नेता अमित भटनागर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना पर गंभीर सवाल उठाते हुए भयंकर विनाशकारी बताया है, अमित भटनागर ने कहा कि ये बात वह नहीं कह रहे वल्कि सुप्रीम कोर्ट की विषय विशेषज्ञों की केन्द्रीय सशक्त समिति ने सरकार को इस परियोजना पर फटकार लगते हुए यह बात कही है। रिपोर्ट के अनुसार, यह परियोजना वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय नियमों के अनुरूप नहीं है।
अमित भटनागर ने इस पत्र के माध्यम से परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक और कानूनी उल्लंघनों पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह परियोजना बुंदेलखंड के जल संकट के समाधान के नाम पर एक भ्रामक प्रयास है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि आदिवासी अधिकारों और भूमि अधिग्रहण कानूनों का भी उल्लंघन कर रही है।
परियोजना संबंधी मुख्य बिंदु पर प्रकाश डालते हुए अमित भटनागर का कहना है कि:
1. जल संकट का समाधान या भ्रामक परियोजना?
अमित भटनागर ने आरोप लगाया है कि केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना बुंदेलखंड की समस्याओं का हल नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड के बाहर के क्षेत्रों को पानी उपलब्ध कराना है, जबकि क्षेत्र की वास्तविक जल संकट की समस्या जस की तस बनी रहेगी।
2. पर्यावरणीय और सामाजिक उल्लंघन:
अमित भटनागर ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) की खामियों की ओर इशारा किया, जिसमें जैव विविधता, भूवैज्ञानिक विशेषताएं और दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रभावों का सही आकलन नहीं किया गया है। साथ ही, परियोजना में 46 लाख पेड़ों की कटाई और संकटग्रस्त प्रजातियों के आवास का विनाश होगा।
3. आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन:
भटनागर ने परियोजना के तहत आदिवासी समुदायों की अनदेखी और ग्राम सभाओं के आयोजन में पारदर्शिता की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि परियोजना प्रभावित 22 गांवों के ग्रामीणों की आवाज़ को अनसुना किया गया है।
आवश्यक सुधार और सुझाव:
अमित भटनागर ने परियोजना पर तत्काल रोक लगाने, जल विज्ञान के आंकड़ों की समीक्षा, ग्राम सभाओं का पारदर्शी आयोजन, और पर्यावरणीय प्रभावों का पुनर्मूल्यांकन करने की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने बुंदेलखंड के प्राचीन जल स्रोतों जैसे चन्देलकालीन तालाबों और नालों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार से सुझाव दिया है, जो एक स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल समाधान हो सकता है।
स्थानीय जल संकट का स्थायी समाधान:
अमित भटनागर का मानना है कि जल संकट का समाधान हमारे इतिहास में छिपा है; हमें केवल उसकी ओर देखने की आवश्यकता है, बुंदेलखंड के जल संकट का स्थायी समाधान पारंपरिक जल स्रोतों और जल संचयन पद्धतियों के पुनर्निर्माण में निहित है। उन्होंने इस संदर्भ में चन्देलकालीन तालाबों और बावड़ियों को पुनर्जीवित करने का सुझाव दिया, ताकि जल संकट का समाधान स्थानीय स्तर पर किया जा सके।

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