51वें खजुराहो नृत्य समारोह का समापन,

बुन्देली न्यूज़,
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51वें खजुराहो नृत्य समारोह का समापन, 



अंतिम दिवस माननीय राज्यपाल महोदय की गरिमामयी उपस्थिति रही,

शास्त्रीय नृत्य की विविधता और समृद्धता को प्रदर्शित करने और विस्तारित करने में खजुराहो नृत्य समारोह का  उल्लेखनीय योगदान : माननीय राज्यपाल


शिव—शक्ति की शाश्वत उपस्थिति के साथ खजुराहो के सिद्ध मंच पर झिलमिल हुई भारतीय संस्कृति और दिव्य कला* 

भारतीय संस्कृति की अनुपम धरोहर, शास्त्रीय नृत्य की पावन भूमि और दिव्य कला के भव्य उत्सव 51वें खजुराहो नृत्य समारोह का सिलसिला बुधवार को अपने अंजाम पर पहुंच गया। महाशिवरात्रि के पावन पर नृत्य प्रस्तुतियों में शिव और शक्ति के सुंदर स्वरूपों की छवियां मंच पर साकार हुईं। देश के सुप्रसिद्ध नृत्य साधकों ने अपनी साधना और कल्पना से नृत्य कला में शिव—शक्ति को इतने आकर्षक और प्रभावी ढंग से दिखाया कि मंच शिव—शक्ति की शाश्वत उपस्थिति को सुधिजनों ने अनुभूत किया। 
मध्यप्रदेश शासन,संस्कृति विभाग के लिए उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण,मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन छतरपुर के सहयोग से आयोजित 51वाँ खजुराहो नृत्य समारोह अनन्त स्मृतियों के साथ समापन हुआ। समापन अवसर पर मध्यप्रदेश के महामहीम राज्यपाल मंगूभाई पटेल बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। साथ ही खजुराहो के माननीय सांसद वी.डी.शर्मा और माननीय विधायक अरविंद पटेरिया विशेष रूप से उपस्थित थे। सभी अतिथियों का स्वागत संचालक संस्कृति एन.पी.नामदेव द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया। 
इस अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिल्प कला की तीर्थ नगरी में आयोजित 51वें खजुराहो नृत्य समारोह में एक बार फिर शामिल होकर बहुत खुशी हो रही है। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के तत्वावधान में 139 नृत्य कलाकारों ने 24 घंटे, 9 मिनट,26 सेकंड तक लगातार नृत्य कर,जो गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना है,वह हमारी संस्कृति की गौरवशाली धरोहर का प्रतीक है। प्रदेश का मान बढ़ाने वाले वृहद शास्त्रीय नृत्य मैराथन में शामिल सभी नृत्य कलाकारों, समन्वयकों, गुरुओं और आयोजकों को बधाई देता हूँ। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रदेश के नाम 6 कीर्तिमान दर्ज कराने की विशेष उपलब्धि के लिए राज्य सरकार के प्रयास सराहनीय है। समारोह में बाल नृत्य महोत्सव,600 से अधिक वाद्ययंत्रों पर केंद्रित नाद प्रदर्शनी और भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्मविभू‍षण डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम के कला अवदान पर केन्द्रित प्रदर्शनी-सह-व्याख्यान गतिविधि प्रणाम के नवाचार सराहनीय है। साथ ही चित्र-कथन,रूपंकर कला पुरस्कार से पुरस्कृत चित्रकारों और शिल्पकारों की प्रदर्शनी, शिल्प और व्यंजन मेले के आयोजन,समारोह की विविधता को समृद्ध करने के प्रशंसनीय प्रयास हैं। बुंदेलखंड की धरती में शौर्य और साहस के साथ कला और संस्कृति का ऐसा संगम है, जहाँ शस्त्र और शास्त्र के समन्वय की पराकाष्ठा देखने को मिलती है। अद्वितीय वास्तुकला, सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक विरासत की नगरी खजुराहो,भारतीय संस्कृति और कला का अद्वितीय गौरव है। खजुराहो नृत्य समारोह,हमारी शास्त्रीय नृत्य की विविधता और समृद्धता को प्रदर्शित करने और विस्तारित करने में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। जिसने भारतीय कला और संस्कृति की विविधता में एकता को देश-विदेशों में मजबूत और बढ़ावा देने का अभूतपूर्व कार्य किया है। नृत्य समारोह में विभिन्न कलाओं के अद्भुत समागम से खजुराहो अब कलाकारों की नगरी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो गया है।इसी का सुखद परिणाम है कि आज यह आयोजन, कला प्रेमियों के अद्भुत समागम के साथ पर्यटन का विशेष आकर्षण केन्द्र भी बन गया है। सभी कला साधकों से मेरा अनुरोध है कि भारतीय लोक संस्कृति के आध्यात्मिक और भौतिक पक्षों को अपनी कला के विभिन्न रुपों में प्रस्तुत करें। हमारी कला के एकत्व भाव को अपनी कला साधना में प्रस्तुत कर भारत की सांस्कृतिक समृद्धता को विश्व के हर कोने तक ले जाने के लिए भावी पीढ़ी को तैयार करें। भारत की समृद्ध गौरवशाली प्राचीन और ऐतिहासिक कला संस्कृति के साथ यह कला और संस्कृति की अनुपम और अद्वितीय प्रदर्शन स्थली के रूप में खजुराहो नृत्य समारोह विश्व में अपनी पहचान बनाये। आशा है कि खजुराहो नृत्य महोत्सव हमारी उत्कृष्ट पाषाण शिल्पकला के साथ हमारी शास्त्रीय कलाओं को विश्व पटल पर और विस्तारित करने में सफल होगा। मैं एक बार पुन: समारोह में शामिल सभी पद्म पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से विभूषित कलाकारों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।
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