बुंदेलखंड का अद्भुत रहस्य: अबार माता मंदिर, जहाँ पूरी होती हैं भक्तों की मनोकामनाएँ
छतरपुर, मध्य प्रदेश: बुंदेलखंड की रहस्यमयी धरती पर, घने जंगलों के बीच, छतरपुर जिले में स्थित है 900 वर्ष पुराना अबार माता का मंदिर। यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की चमत्कारी चट्टान और भक्तों की अटूट आस्था इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती है।
चमत्कारी चट्टान का रहस्य:
इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य है यहाँ की एक विशाल चट्टान, जो धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते आज 70 फीट तक पहुँच गई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह चट्टान भगवान शिव का प्रतीक है और हर महाशिवरात्रि पर इसकी लंबाई एक तिल के बराबर बढ़ जाती है। यह भी मान्यता है कि इस चट्टान को छूने से निःसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
मंदिर का इतिहास:
कथाओं के अनुसार, आल्हा-ऊदल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। एक रात महोबा से माधौगढ़ जाते समय, उन्हें यहाँ देर हो गई, जिसका बुंदेलखंडी में अर्थ 'अबेर' होता है। उन्होंने यहीं विश्राम किया और अपनी आराध्य देवी का आह्वान किया। माँ ने उन्हें दर्शन दिए, जिसके बाद उन्होंने यहाँ मंदिर बनवाया।
आस्था और परंपराएँ:
इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। चट्टान को छूने का एक विशेष तरीका है: पहले उल्टे हाथ से मन्नत मांगें और पूरी होने पर सीधे हाथ से धन्यवाद दें। मंदिर तक पहुँचने के लिए 50 सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं।
वार्षिक मेला:
वैशाख पूर्णिमा से यहाँ 15 दिनों तक वार्षिक मेला लगता है, जिसमें महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर की विशेषताएँ:
* 900 वर्ष पुराना इतिहास
* चमत्कारी बढ़ती चट्टान
* निःसंतान दंपतियों के लिए आशीर्वाद
* आल्हा-ऊदल से जुड़ी कथाएँ
* वार्षिक भव्य मेला
अबार माता का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह बुंदेलखंड की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का प्रतीक भी है।